मंज़िल मिल जाएगी भटकते ही सही
गुमराह तो वो हैं जो घर से निकले ही नहीं.
कोई भी लंबा सफर पहले एक कदम से ही शुरू होता है. अगर आप को वो पहला कदम उठाने मे ही घबराहट हो रही है, आप को अगर डर लग रहा है कि कहीं मे fail हो गया तो, कहीं मुझसे से कोई गलती हो गई तो. मे इससे पूछ लूँ, मे उससे पूछ लूँ, मे इसका सहारा ले लूँ मे उसका सहारा ले लूँ. तो इस घबराहट और डर के साथ आप कैसे आगे बढ़ेंगे आप कैसे कुछ भी कर पाएंगे.
अगर आप अपने life के Decisions ही नहीं ले पाते, आप को अपने दिल की दिमाग की सुनने मे करने मे डर लगता है तो आप कैसे अपनी life में कभी कुछ बड़ा कर पाओगे.
आप अगर अपनी life में आगे बढ़ना चाहते हैं कुछ बड़ा करना चाहतें हैं तो आप को इस डर और घबराहट से खुद को आज़ाद करना ही पढेगा.
देखिए सलाह मशविरा करना किसी भी काम को करने से पहले चीजों को समझना यहां वहां की जानकारी जुटाना. सब जरूरी है, सब सही भी है. लेकिन डर, डर की कोई जगह नहीं है. अगर आप को अंदर से आवाज आ रही है. या आप के द्वारा की गई रिसर्च से कुछ positive indications मिल रहें हैं. फिर भी आप अपने डर के मारे आगे बड़ने से घबरा रहें हैं, फिर तो गलत है.
आदमी को आगे बड़ने के लिए उसका अपना freedom बहुत ज़रूरी है , अपना decisions लेने की, अपने intuition पे भरोसा करने की हिम्मत तो दिखानी ही पड़ेगी.
Conviction, अपने idea पर सोच पर यकीन दिखाना, self expression खुद को अपनी सोच अपने idea को सफाई से express कर पाना, गलतियां करना और अपनी गलतियों से सीखना और गलतियाँ करने से डरना नहीं, अपने दिल और दिमाग के बीच एक सही balance एक सही ताल मेल बिठा पाना किसी भी person के लिए life मे progress करने के लिए बहुत important traits हैं.
अगर आप खुद ही जो चाहते हैं जो पसंद करते हैं जैसे अपनी life को बनाना चाहते हैं उस पर पूरी तरह यकीन नहीं दिखा पाते. या आप खुद ही अपने ख्वाबों पर, अपनी capabilities पर doubt करेंगे तो आप ही बताइए कैसे कुछ भी हो पाएगा.
एक बात और में आप को बता दूँ, ये आप के अंदर जो झेंप है ना hesitation ये तभी तक है जब तक आप कुछ करने नहीं लगे. आप अगर एक बार मैदान मे उतर गए, फिर तो आप को पता है कि अब तो लड़ना ही पड़ेगा क्यूंकि अगर आप एक बार जंग में उतर गए और लडे नहीं तो फिर अपनी खुद की जान पर बन ही आयेगी मतलब खतरा आपको ही हे.
आप को stage पर अगर धक्का दे कर खड़ा कर दिया जाए तो कब तक drroge. एक दिन दो दिन दस दिन, एक time आयेगा जब ये nervousness खुद ही गायब हो जाएगी. बस खुद पर यकीन दिखा कर एक छलांग मारने की देरी है.
अजीम बेग अजीम जी का एक बहुत ही famous शैर है
गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में
वो तिफ़्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले
अगर आप गिरने के डर से कभी कोई घोड़े पर bethoge नहीं तो आप life मे कभी भी घोड़े की सवारी नहीं कर पाओगे अगर आप चोट लगने के डर से कभी भी ground पर कोई भी sports खेलने नहीं जाओगे तो आप कभी भी कोई भी sports नहीं खेल पाओगे अगर आप एक्सीडेंट के डर से कभी driving seat पर bethoge ही नहीं तो आप कभी driving नहीं सीख पाओगे, अगर exam देने से पहले ही फैल होने का डर दिमाग मे बैठ जाएगा तो आप कभी भी किसी भी exam मे कैसे पास करोगे, आप किसी भी काम को शुरू करने से पहले फैल होने का डर दिमाग मे बैठा लोगे तो कैसे कोई काम कभी भी हो पाएगा आप से. अगर आप को खाई के उस पार जाना है तो भरोसे की छलांग लगानी ही पड़ेगी.
Actually हम इंसानो ने इस धरती पर एक बहुत लंबा time बिताया है. हमने हर तरह की प्राकृतिक आपदाओं को natural calamities को face किया and anyhow we survived till today but because of all this we have developed a trait in us which is called “risk aversion” हम को जब भी कहीं भी थोड़ा खतरा दिखता है या रिस्क लगता है तो हम अलर्ट हो जाते हैं, हमारा brain हम को बचाने की कोशिश करता है जिसकी वजह से वो हम को खतरों से वापिस comfort zone मे ले जाता है.
जब भी हम कुछ बड़ा या अपने comfort zone से बाहर आकर कुछ risky काम करने जाते है तो brain हमको बचाने की कोशिश करता है. तभी हम को दिमाग मे खयाल आता है कि ये करना मुश्किल या खतरनाक हो सकता है. यहां से दूर चलो, खुद को safe करो, खुद को बचाव. और यही वो time है जब आप को अपना life changing decision लेना है. या तो आप अपने risk aversion की वजह से जो खयाल दिमाग मे आ रहा है उसकी सुनो या फिर उस आवाज को अनसुना कर दो. अपने conscious brain को जगाओ. और खुद को बताओ की ये जो डर घबराहट मेरे अन्दर आ रही है ये हम human beings के सालों से झेली problems की वजह से आ रही है.
और अगर इसकी सुन के मे मेरे comfort zone मे वापिस चला गया तो मे safe तो हो जाऊंगा, लेकिन me मेरी life को नहीं बदल पाऊंगा. क्यूंकि अगर आप हमेशा वो ही करते रहेंगे जो आप हमेशा करते आए हैं तो आप को मिलेगा भी वो ही जो अभी तक मिलता आया है. अगर आप life मे कुछ नया चाहते हैं तो उस नया के लिए कुछ नया कुछ अलग तो करना ही पढेगा. उसमें जोखिम भी हो सकता है But उस जोखिम के खतरे को उठाने का रिस्क तो लेना ही पड़ेगा otherwise life मे कुछ नया कैसे हो पाएगा या life कैसे बदल पाएगी.
एक समय था जब हम इंसान hunters हुया करते थे, हम अपने खाने के लिए hunting करते थे. अब hunting करने के लिए आप को हमेशा alert और active रहना पड़ता है. क्यूंकि एक तो जरूरी नहीं कि आप को हमेशा शिकार मिल ही जाए और फिर दूसरा शिकार करते वक़्त खुद को बचाना भी है और उस शिकार को बड़ी ही होशियारी और हिम्मत दिखा के मरना भी तो है. तभी तो आप को अपना खाना मिल पाएगा.
Lekin with time हमने agriculture ko develop कर लिया. अब खेती करने मे भी मेहनत लगती है But वो alertness और activeness की ज़रूरत नहीं और खाना ना मिलने का भी डर एक हद्द तक खत्म हो जाता है. तो हुया क्या because of खेती किसानी हम थोड़ा lazy हो गए हमने जो अपनी sharpness थी intensity थी उसको lose कर दिया.
अब हम सब I mean ज्यादातर लोग उसी खेती किसानी की क्लास को belong करते हैं. हम human being की उसी breed से उपजे हैं. क्यूंकि जो hunter class थी उसके पास, क्यूंकि उसको हर समय यहां वहां खाने की तलाश मे भागते रहना पड़ता था, टाइम नहीं था settle होने का या breed करने का इसलिए धीरे धीरे वो hunting class extinct होती चली गई लेकिन जो farming class थी they had lots of free time and thus they start settling in family. और फिर civilizations ki शुरुआत वहीं से हुयी.
अब क्यूंकि हम सब भी उसी फार्मिंग क्लास को belong करते हैं इसलिए हम इंसान भी lazy bollo या हमेशा comfort को ढूँढते रहते हैं. बस अपने खाने की जुगाड़ हुयी और हम अपने comfort में वापिस लौट जाते हैं. और क्यूंकि हमारे पास time भी है हमने अपने पेट की भूक को भी मिटा लिया है तो अब जो free time बचा है हमारे पास उसमें हम pleasures को ढूँढते हैं. इसलिए भी हम सब unwanted temptations या pleasures से बहुत जल्दी distract हो जाते हैं.
हमारे दिमाग की प्रोग्रामिंग with time कुछ ऐसे हो गई है कि हम हमेशा अपनी लाइफ मे security, comfort और pleasure को ढूँढते रहते हैं, और हम को जैसे ही ये मिलता है हम और भी ज्यादा struggle या और भी ज्यादा मेहनत करने की कोशिश नहीं करते. अपनी लाइफ को और एक ऊपर के level पे ले जाने के लिए कोशिश ही नहीं करते. हम बस वहीं satisfy हो जाते हैं, अपने उस comfort में ही रह जाते हैं.
लेकिन अब आप को ये सब जानने के बाद अपने उस hunting की instinct को time time पे जगाते रहना पढेगा. I mean अगर आप अपनी लाइफ मे कुछ नया चाहते हैं, लाइफ को और better बनाना चाहते हैं तो हम को ज़रूरत है कि हम अपने उन शिकारी पूर्वजों को याद करते रहें. क्यूंकि ये जो huntinct की instinct है यही हमको life मे आगे बड़ा सकती है.
आप जब तक अपने comfort को छोड़ कर struggle नहीं करेंगे, pleasures को ignore कर के hard work नहीं करेंगे, temptations से distract ना हो कर अपने mind को focus नहीं करेंगे. Life को आगे ले जाना, या जहां आप हैं उससे और बेहतर बना पाना मुश्किल है.
मे ये तो नहीं बोलूंगा की डर के आगे जीत है, I mean ऐसा नहीं है कि आप तुरंत ही जीत जाएंगे क्यूंकि जरूरी नहीं आप जो करने जा रहें है उसमें successful ही हो जाएं आप fail भी हो सकते हैं लेकिन भले ही आप फैल हो जाए but उससे आप को जो lessons मिलेंगे वो lessons आप को आगे आप के next venture मे बहुत help करेंगे जिससे obviously that next venture will be done in much better way and produce much better results.
और ऐसे ही कोशिश करते करते fail होते होते सीखते सीखते सीखते एक दिन आयेगा जब आप वाकई जीत जाएंगे.

