में खेलेगा

मुश्किलें तो हैं, मुश्किलें पहले भी थी और मुश्किलें आगे भी रहेंगी. और ज़रूरी नहीं हम मुश्किलों से जीत जाएं. हो सकता है अपना सब कुछ करने के बाद भी हम हार जाए. अपनी तरफ से पूरी कोशिश करने के बाद भी मुश्किलें हम को हरा दें. लेकिन क्या किसी एक मुश्किल से हार जाने का मतलब पूरी जिंदगी से हार जाना है? नहीं ऐसा नहीं है.

जब तक आप खुद से नहीं हार जाते, अपने मन से दिल से दिमाग से नहीं हार जाते तब तक आप नहीं हारे. जिस दिन आप खुद से हार जाएंगे उस दिन आप अपने जीवन से हारेंगे, अभी आप बस कुछ एक मुश्किलों से हारे हो. उठिए, खड़े होइए, लडिऐ. आप फिर किसी मुश्किल से हार जाते हैं, आप फिर से खड़े होइए फिर एक नई लड़ायी शुरू करिए और तब तक लडते रहिए जब तक आप जीत नहीं जाते। और अगर आप इस attitude के साथ लड़ते रहेंगे आगे बढ़ते रहेंगे ठोकरे खा खा कर वापिस उठते रहेंगे चलते रहेंगे तो आप मान कर चलिए आप जीतेंगे जरूर.

हमेशा याद रखिए, हर वो मुश्किल जिससे आप गुजरे हैं, हर वो परेशानी जो आपने झेली है, हर वो आंसू जो आप ने बहाया है. हर वो कठिनाई, हर वो tension, हर वो ठोकर जो आपने face किया है, उसने आप को बेहतर बनाया है उससे जो आप कल थे. जब आप किसी ईट को जलाते हैं तो वो जलती नहीं, और मजबूत हो जाती है. जब आप किसी हीरे को घिसते हैं तो वो और ज्यादा चमकने लगता है. हर वो चोट जो मूर्तिकार अपनी मूर्ति मे छेनी हथोड़े से मारता है उससे मूर्ति को एक आकार मिलता है, उससे वो मूर्ति और भी ज्यादा खूबसूरत हो जाती है.

मारवन अटापट्टू… अगर आप लोगों ने नाम सुना हो तो श्रीलंका cricket team के कई साल captain रहे. अपने career के पहले ही match की दोनों ही inning मे उन्होने 0 run बनाए दोनों ही inning मे वो duck पर out हुए, selectors ने उनको drop कर दिया. फिर 21 महीनों के बाद उनको वापिस select किया गया लेकिन इस बार भी उन्होंने पहली inning मे 0 और फिर दूसरी inning मे 1 run बनाया, selectors ने उन्हें वापिस drop कर दिया. एक बार फिर 17 महीने बाद उनका श्री लंका की नैशनल टीम मे सिलेक्शन हुया और इस बार फिर दोनों ही inning मे 0 और 0. एक बार फिर उनको मौका मिला जब 3 साल बाद वापिस selectors ने उनको वापिस team मे जगह दी. But this time he scored runs. और फिर उन्होंने एक अच्छा career बिताया टीम मे Total 5000 रन बनाए और वो team के captain भी बने.

कितने ही लोग अपने early failures या मुश्किलों की वजह से हिम्मत हार देते हैं, अपने career को बदलने की सोचने लगते हैं. आप को जब भी ऐसा खयाल आए एक बार मारवन अटापट्टू की कहानी को याद कर ले. और एक अटापट्टू ही क्यों और कितनी ही ऐसी कहानियां है, जहां लोगों ने अपने patience और perseverance की वजह से खुद के लिए एक successful कहानी लिखी है.

सचिन तेंदुलकर एक 16 साल का लड़का, अपने career के पहले मैच मे ही पाकिस्तान जैसी बड़ी टीम से सामना, जिसमें वसीम अकरम वकार यूनुस जैसे तेज़ baller. और वकार यूनुस की एक bouncer ball सीधे जा के सचिन  की nose मे लगती है. सचिन की nose से बहुत ज्यादा खून बहने लगता है.

इंडियन टीम के physiotherapist भाग के सचिन के पास आते हैं, Pakistan की टीम सचिन को घेर कर खाड़ी हो जाती है, और दूसरे strike पर खड़े नवजोत सिंह सिद्धू  सचिन के पास जाते हैं. Physiotherapist सचिन की nose से हो रही bleeding को ठीक ही कर रहे थे, तभी सिद्धू सचिन को सलाह देते हैं कि खुन ज्यादा बेह रहा है go take a break get retired hurt come back after some time. लेकिन सचिन अपने कपड़े झाड़ते है और खड़े होकर बोलते हैं कि “नहीं मे खेलेगा”

दोस्तों यही वो मौके हैं life के जो champions बनाते हैं. Life मे कुछ ऐसे मौके आते हैं जब आप को लगता है कि बस अब सब खत्म यही वो time होता है when you need to spirit yourself up and get counted.

हार मान लेना कोई option नहीं है, जब तक साँस मे साँस है हांथों मे जान है लड़ते रहिए. आप के सही character, attitude और हिम्मत की सही पहचान तब नहीं होती जब आप अपने peak पर है. आप की असली पहचान तब होती है जब आप मुश्किलों मे हो, उस समय को आप कितनी हिम्मत और patience के साथ deal कर पाते है उसी से आप के असली character की पहचान होती है.

Friends when the chips are down, true leaders don’t hide. They stand up and fight.

Leave a Reply

0
    0
    Your Cart
    Your cart is emptyReturn to Shop
    Scroll to Top

    Discover more from Manish Goswami

    Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

    Continue reading

    WordPress Cookie Notice by Real Cookie Banner