जी लो अपनी जिंदगी

अभी अभी मे Mark twain का एक qoute पढ़ रहा था,
“20 years from now you will be most disappointed by the things that you didn’t do than by the ones you did do. So throw off the bowline, sail away from safe harbour. Catch the trade winds in your sails. Explore, dream, discover.”

इसका क्या मतलब हुया, मान लीजिए मे आप को घुमाने के नाम पर दिल्ली या मुंबई ले जाता हूँ. और वहाँ जा कर आप को एक होटल मे बिठा देता हूं, वहीं होटल मे TV है खाने को खाना मिल जाता है, आप 8 से 10 रोज उस room मे ही रहते हैं, अच्छा अच्छा खाते हैं, मज़े से TV देखते हैं और फिर जब आप वापिस अपने शहर अपने घर आते हें और कोई आप से पूछता है कि क्या आप मुंबई घूम आए? तो आप उस को क्या जवाब देंगे. क्या आप उसको केह पाएंगे कि आप वाकई में मुंबई घूम के आये हें?

कुछ बहुत ही अहम सवाल हें जो हममें से हर एक को समय समय पर खुद से पूछते रहना चाहिए. क्या हम में से कोई भी एक व्यक्ती अमर हें? क्या हम मे से एक भी व्यक्ती ऐसा है जो मरेगा नहीं? एक ना एक दिन हम सब को मरना हे और ये मानव जीवन का सत्य है. कोई भी ऐसा नहीं है जो मरेगा नहीं.

अब जब हम सबको यह बात पता हे, तो आप को नहीं लगता आप को खुद से यह पूछ लेना चाहिए कि आप अपनी life को कितना जी पाए और कितना नहीं? क्या आप अपनी life जी रहे हैं या किसी और की? आप अपनी खुद की कितनी life जी पाए? कितना कुछ अपने मन का कर पाए? क्या आप अपने ख्वाबों को पूरा कर पाए?, अपनी ख्वाहिशों को जी पाए? और या फिर आप बस सोचते ही रह गए या डरते ही रह गए?

क्या आप अपने खुद के decisions ले पा रहे हें? वो decisions जो आप के अपने हें आप की अपनी choices पर based हें ना कि किसी और की choices पर. क्या आप कोई भी काम अपने मन का अपने interest का नहीं करेंगे क्यूंकि किसी और ने आप को order दिया है कि आप को यह नहीं करना है या फिर इस डर की वजह से की किसी दूसरों को आप का ये काम या जो भी hobby आप pursue कर रहे हें अच्छी नहीं लगेगी? फिर आप की अपनी choices का क्या? , likings का क्या? , फिर आप का अपना freedom कहाँ हे? individuality कहाँ हे?

आप आप ही हो या फिर आप कोई और हो? जब आप इस धरती पर पैदा हुए थे तो खुद बन कर पैदा हुए थे या फिर कोई और बन कर? फिर आप अपने decisions किसी और की वजहों से बदलते क्यूँ हें? आप खुद को कुछ भी अपने मन का करने से दूसरों की वजहों से रोकते क्यूँ हें? दूसरों के orders के हिसाब से ही क्यूँ अपनी life जीना चाहते हें? आप को भी पता है आप इस धरती पर दोबारा हीं आने वाले, आप को आप की जो ये लाइफ है ये फिर दोबारा नहिं मिलेगी. या तो आप अपनी लाइफ जी लें अपने हिसाब से अपनी मर्जी से या फिर पछताते रहें.

या तो आप जी ले या फिर डरते रहें. या तो आप वो सब कुछ कर ले जो आप करना चाहते हें या फिर डरते रहें अपने आसपास के लोगों की ही परवाह करते रहें. आप अपने लिए किस तरह की लाइफ imagine करते हें एक ऐसी लाइफ जो आप के मन की है जिसमें आप अपनी मर्जी का करते हें या फिर एक ऐसी लाइफ जो सिर्फ और सिर्फ अधूरी ख्वाहिशों से भरी हुई है, जिसमें compromises और खालीपन के सिवाय कुछ नहीं है.

आप मुझे बताइए जिस दिन आप मरेंगे अगर आप इस खालीपन को लेके मरेंगे तो कैसा feel होगा आप को, क्या आप खुश होंगे? देखिए सभी ख्वाहिशें तो शायद सभी की पूरी नहिं होती लेकिन जिस दिन आप का आखिरी दिन होगा क्या आप उस दिन अपनी लाइफ से, जो भी जैसी भी लाइफ आपने जी है, उससे आप संतुष्ट होंगे या नहिं? क्या आप उस दिन खुद से सवाल नहिं करेंगे कि ये बहुत सारी ख्वाहिशें मेरी जो मे पूरी कर सकता था जिनको पूरा करना मेरे हांथ मे था मे फिर भी उनको नहिं कर पाया क्यूंकि मेरे अन्दर कुछ झूंठे दर थे, क्यूंकि आप को खुद से ज्यादा इस बात की परवाह थी कि लोग मेरे बारें में क्या सोचेंगे.

आप आज डिसाइड कर लीजिए आप के लिए सबसे जरूरी क्या है आप के ड्रीम्स, आप की wishes आप की अपनी लाइफ या फिर आप के ignorance की वजह से अपने दिमाग में बिठाए हुए कुछ झूठे डर. आप आज डिसाइड कर लीजिए कि आप को लाइफ किसकी जिनी हे अपनी या किसी और की.

यार आप के पास अपनी खुद की लाइफ की डायरी है और पेन भी आप के हांथ मे ही है अब या तो आप आप की डायरी मे MY awesome life लिख दो या फिर MY fears and inhibitions. बस जिस दिन आप आप की लाइफ के आखिरी दिन अपनी उस diary को खोलेंगे ना…. तो उस दिन बस आप को दुख नि होना चाहिए, क्यूंकि अगर पछतावा हुया तो उसके लिए responsible कोई और नहिं बस आप ही होंगे.

Leave a Reply

0
    0
    Your Cart
    Your cart is emptyReturn to Shop
    Scroll to Top

    Discover more from Manish Goswami

    Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

    Continue reading

    WordPress Cookie Notice by Real Cookie Banner